Learn BrajBhasha Vocabulary

Learn BrajBhasha Vocabulary-

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वह – वह-बू, उस -बा, उसे -बाय, वे-बे, उसका -बा कूँ या बाकौ उसी को- बाई कूँ, उनको- बिन कूँ या बिन्नै

तुम – तोय या तू , तुम्हें -तुझे, तुमको ही- तुमकूँ ई या तोकूँ ई , तेरे लिये-तेरे काजें या तिहारे लैं, तूने-तैनैं

इस – या, इसे-याय, इसी -यायी, इसी कूँ-यायी कूँ, इसी के लिए -यायी के मारें , इसी की बजह से- यायी के मारें, इनको-इनकूँ या इन्नै, इसका-या कूँ, या याकौ, इसी को-याई कूँ

हम – हम, हम ही-हमई, हम भी-हमउ , हम से-हम ते, हमारा-हमारौ, हमको-हमकूँ, हमारे लिए-हमारेउ काजें

मैं – मैं, मुझ-मो, मुझे- मोय, मुझको- मोकुं, मुझ से- मो ते

(भी- उ, ही-ई) मुझे भी- मोएउ, मुझे ही- मोएई, मेरे लिए -मेरे काजें, मुझ को ही- मो कूँ ई

Brajbhasha ki Vocabulary——-

प्रश्नवाचक-

क्या-काह क्यों-चौं ,किसलिए -कायकूं कहाँ-कां किसी-काउ कभी-कबहुँ

कैसा-कैसौ कौन -को कितना-कितनौ कौनसा-कुनसौ

किधर-कित या कितकूँ यहाँ- इतकूँ वह-बितकूँ

स्वाद-

खारा-खट्टो, कड़वा-कलेलौ मीठा-मीठौ

रंग-

क|ला-कारौ पीला-पीरौ भूरा-गोरौ सफ़ेद-धौरौ

भूरौ भरंग ,कारौ कसट्ट,पीरो झनक ,लाल सुरक्क,हरौ कच्च,सफ़ेद भक्क

अच्छा- नेक सुन्दर-मलूक

शरारती-निकममौ या बेहया नुकीला-पैनौ

चतुर-चालाक

अच्छा- नेक सुन्दर-मलूक

शरारती-निकममौ या बेहया नुकीला-पैनौ

चतुर-चालाक

क्रिया-

खाना=खानों पीना-पीनौ रहना-रहनौ सोना-सोनौं काटना-काटनौ चलना-चलनौ

,नींद आना – औंग आना

की बजह से- के मारें

से- ते मेरा-मोकूं ,तेरा-तोकू हमारा -हमकूं,उसका-वाकू,इसको-याकू,तुम-तू या तोय ,मैं-मोय ,वह-बू ,यह- ई,

अब-अबई,क्यों-चौं,,उसको-वाकू या जाय ,इसको-याकू या याय

वहाँ-म्हां,क्यों-कायकूं ,कभी-कबऊ,नही-न या नाय,सभी-सबन्नै

जिस-जा जिसका-जाय या जाकौ इनको-इन्नै उनको-बिन्नै

इधर-इतकू या इत्ते उधर बितकू या बित्ते जल्दी-बेगि बड़ा-बड़ौ

संज्ञा-

गाय-गैया

चूहा-मोसौ

बैल-बिजार

बछड़ा-जैंगरा

नेवला-न्यौरा

तोता -हरिया

मोर-मोरा

चिड़िया-चिरैया

भैंस का बच्चा – पड्डा

सियार-सियारिया

नील गाय-रोज

बकरी-बकरिया

मंदिर-मिन्दर

गोवर्धन – गोधन

वृन्दावन-बिन्दावन

बलदेव-दाऊजी

मथुरा-मथरा

ट्रेक्टर- टैकटर

बाइक- मोटर साईकिल

टेम्पो-टम्पू

बघ्घी-बुग्गी

भूसा -भुस

चावल-चामर

बाजरा-बाजरौ

ज्वार चरी बरसीम बरसम खाली -रीतौ ,गडुआ -लोटा

बहुत-निरे , बिन बालों का सिर -खुटमुंडी टांट, जी भर के- झिककैं जोर से-मसक्कैं, परों में दर्द मारना-पामन में भड़क मारनौ ,बार-बार मिन्नत करना -निहोरे करना

आँहाँ-हाँ,नहीं-नाँय,हम्बै-हाँ जी न्याःह -इधर आ

ठंठाठेल- मजबूत , छट्टा-शानदार , धींगरा-शक्तिशाली

जलना-भुरसना या पजरना ,बड़ी मुश्किल से – नीठ

खाना खाने के बाद पानी पीना- चूरू लेना , रगड़ना-मीडना,बिना नमक वाला- अरौनौ,नंगा-उगाहरौ जबरदस्ती-धिंगरै या धिंगरई

धौंस -चुनौती गौंहजौ -नादान

ख्वारी हैनौ – परेशानी का सामना करना

औगन- शोर शराबा

औंढी-गहरी

पोखर-तालाब

चुपटानौ – चिपकाना

लम्बी फैंकनौ – डींगें मरना

कलेउ -जलपान अभाल- अभी

अकवार-सामने

निचाबलौ -चुपचाप

किल्ल परैगी-डांट पड़ेगी

बर्रानौ -सपना देखना  अवेर है गई है- देर हो गई है  बबरपंच- जबरदस्ती से बीच में हिस्सा लेना     या लैं= इस लिए  या कूं= इसके लिए  वा लैं =उसके लिए  या ई कूं =इसी (ही) के लिए            वा ई कूं= उसी (ही) के लिए  उलाहना – उरहानौ , अंदर डालना-घुसाना, नौहरनौ-झुकना अलग करना – सुर्जाना , लड़ाना- इरजानौ मुशीबत- औगार , बगैराह -हंनै , कोना- किनाठा , अरे- इरे, इधर-इरेकुं ,उधर -परेकुं, उमस-भवका  खाली समय- सोपतौ, चापलूसी करना- लुल्ल चुप्प करनौ फांदना – नांखना       रुक जा – डट जा  पास बैठ-जौहरें बैठ पास आज| – जौहरें आ ‘या’ ढिंग आ  मुंह-मौहडॉ सुन्दर-मलूक शाम-सांझ या संजा  सुबह – धौंताय  बिजली गिरना-बीजरी परना जल्दी निकल जा-बेगि निकर जा नमक-नौंन चूहा-मूसौ बाल-बार या लटुरे जलपान – कलेऊ सब्जी पकाना -साग रांदना उबालना- उसेहना कददू- घीया तालाब-पोखर चुप रह- निचाव्लौ रैह खेतों के लिए जाने वाला रास्ता – दगरौ या दगरिया

रिस होना- गुस्सा होना

popla Toothless Dokri Old woman kanthi Neckless Beejna Fan

Byar- Air punyon -Full moon day (purnima) Bichara- Orphan(male)

Tuuk -Piece Thaur -place paino -sharp

अभी-अभाल, नखरे -निहोरे ,विपत्ति-भावई,सुबह-धौताएं या सवेरौ,संध्या -संजा, दोपहर-दुपैर,खड़ा होना-ठाडौ रै पागल-बाबडॉ ,ऊधमी (लड़की से) -बबालो (छोरी ते ),बास्टर्ड-बिजलौड़ी, ज्यादा सर चढ़ा हुआ-मुथर्र हसी मजाक करना -ठट्ठे मारना,गुस्सा दिखाना-नठराना,नींद-ऑंग,मनाना-पुचकारना,पति-धनि ,पत्नी-धन्यान आराम -सोप्तौ , आराम कर लो- दम पकर लै, नहीमानुँगा- अब नाय निठैगी जल पिला दो-पानी प्याय दै, सब आगे निकल गए पर तुम वही के वही हो- सबरे आयगें निकरगे पर तू तौ मही के मही ऐं चारा-न्यार ,बरसीम- बरछी , दरातीं-दरांत ,कुल्हाड़ी-कुडारी,लकड़ी-लकडिया ,बबूल- बमूर ,जामुन-जामिल गढ्डे को भर दो- गढ्डे अटाय देऔ, तरबूज- मतीरा |बुबाई-बोमनी, जुताई-जोत ,सिंचाई -परहेट, फावड़ा -फाबरौ, नाली-बराह, गोबर का ढेर –घूरौ पेशाब कर के आ – मूत्या…, पागल- बाबड़ौ,…..मस्तक-माथौ ,पैर-पाम ,घुटना-घोंटू,हथेली-हथेरी नाख़ून-नौह,मूँछ-गौंछ, बाजू-बांह ,ऊँगली-अंगुरिया , बाल-बार ,माता-मइयो,भाई-भइया ,बुआ -भुआ ,मामी-माईं,ससुर-सुसर ,साली-सारी ||

BrajBhasha-

रूप-रंग-श्रृंगार क्यों, नाचे मन में मोर

उत्साहित हैं गोपियाँ, कृष्ण सखी चितचोर

राधे शरमाकर कहे, आवे मोहे लाज

बंसी बाजे कृष्ण की, भूल गई सब काज

लड़ते-लड़ते लड़ गए, राधा प्यारी से नैन

महावीर ये हाल अब, कृष्ण हुए बेचैन

निर्मल जमुना जल बहे, कृष्ण खड़े हैं तीर

आ जाओ अब राधिके, मनवा खोवे धीर

और एक अति लाभ यह, या मैं प्रगट लखात

निज भाषा में कीजिये, जो विद्या की बात।

लग रही आस करूँ

भजन करूँ और ध्यान धरूँ, छैया कदमन की मैं॥

सदा करूँ सत्संग मण्डली सन्त जनन की मैं॥ लग.

पलकन डगर बुहार रेणुका ब्रज गलियन की मैं।

अभिलाषी प्यासी रहें अँखियां हरि दरसन की मैं।

भूख लगै घरे-घर तै भिक्षा करूं द्विजन की मैं।

गंगाजल में धोय भेट धरूँ नन्दनन्दन की मैं॥

शीतल प्रसादहि पाय करूँ शुद्धी निज मन की मैं।

सेवा में मैं सदा रहूँ नित ब्रज भक्तन की मैं॥

ब्रज तज इच्छा करूँ नहीं बैकुण्ठ भवन की मैं।

‘घासीराम’ शरण पहुँचे गिरिराजधरन की मैं॥

पल्लै पड़ि गई बारह बीघा में लगा दई भुटिया॥

ससुर भी सोबै सास भी सोवें दै दै टटिया।

हम लाँगुर दोनों मैंड़ पै डोलें लै लै लठिया॥

पल्ले पड़ि गई.

जेठ भी सोवै जिठानी भी सोवै दै दे टटिया।

हम लांगुर दोनों मैंड़ पर डोलें लै लै लठिया॥

पल्ले पड़ि गई.

देवर भी सोवै दौरानी भी सोवै दै दै टटिया।

हम लांगुर दोनों मैंड़ पर डौलें लै लै लठिया॥

पल्ले पड़ि गई.

बालम भी सोवै सौतन भी सोवे दै दै टटिया।

हम लांगुर दोनों मैंड पर डोलें लै लै लठिया॥

पल्ले पड़ि गई.

बादशाह अकबर ब्रज बोली में दोहे कहता था, एक उसे मरते वक्त याद आया-

पीथल सूं मजलिस गई तानसेन सूं राग.

हंसबो रमिबो बोलबो गयो बीरबर साथ.

 पिचका चलाई और जुवती भिजाइ नेह,

लोचन नचाइ मेरे अंगहि नचाइ गौ।

सामहिं नचाइ भौरी नन्दहि नचाइ खोरी

बैरिन सचाइ गौरी मोहि सकुचाइ गौ

अन्त ते न आयौ याही गाँवरे को जायौ

माई बापरे जिवायौ प्याइ दूध बारे बारे को।

सोई रसखानि पहिवानि कानि छाँडि चाहै,

लोचन नचावत नचैया द्वारे द्वारे को।

उझकि झरोखे झाँकि परम नरम प्यारी ,

नेसुक देखाय मुख दूनो दुख दै गई ।

मुरि मुसकाय अब नेकु ना नजरि जोरै ,

चेटक सो डारि उर औरै बीज बै गई ।

कहै कवि गंग ऎसी देखी अनदेखी भली ,

पेखै न नजरि में बिहाल बाल कै गई ।

गाँसी ऎसी आँखिन सों आँसी आँसी कियो तन ,

फाँसी ऎसी लटनि लपेटि मन लै गई ।

दानी बडे तिहु लोकन में जग जीवत नाम सदा जिनकौ लै ।

दीनन की सुधि लेत भली बिधि सिद्वि करौ पिय मेरो मतो लै ।

दीनदयाल के द्वार न जात सो, और के द्वार पै दीन ह्वै बोलै ।

श्री जदुनाथ के जाके हितू सो, तिहूँपन क्यों कन मॉगत डोलै ।

1- हरि के सब आधीन पै, हरी प्रेम आधीन।

याही ते हरि आपु ही, याहि बड़प्पन दीन॥

2- ब्रज रज की महिमा अमर, ब्रज रस की है खान,

ब्रज रज माथे पर चढ़े, ब्रज है स्वर्ग समान।

3- राधा ऐसी बावरी, कृष्ण चरण की आस,

छलिया मन ही ले गयो, अब किस पर विश्वास।

विछुरे पिय के जग सूनो भयो, अब का करिये कहि पेखिये का।

सुख छांडि के दर्शन को तुम्हरे इन तुच्छन को अब लेखिये का॥

‘हरिचन्द’ जो हीरन को ब्यवहार इन कांचन को लै परेखिये का।

जिन आंखिन में वह रूप बस्यो उन आंखन सों अब देखिये का॥

कछु माखन कौ बल बढ़ौ, कछु गोपन करी सहाय |

श्री राधे जू की कृपा से गिरिवर लियौ उठाय ||

भींत में थान है

थान में देवता

आरती कूं

देवता तौ मानतौ रह्यौ पर भींत चौं नाँय मानी

एक दिना दाब मारी देवतान नै भींत

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